चक्रवात के चक्कर में त्राहि-त्राहि है मन घिसा पीटा हुआ लग रहा है नश्वर जीवन।। चक्रवात के चक्कर में त्राहि-त्राहि है मन घिसा पीटा हुआ लग रहा है नश्वर ...
मन मेरा शून्य में है हाँ मन मेरा शून्य में है कोई सब कुछ खोकर भी खुदा की इबादत करने ज मन मेरा शून्य में है हाँ मन मेरा शून्य में है कोई सब कुछ खोकर भी खुदा की इ...
जय, जय, जय हे माँ सरस्वती, तुमको आज निहार रहा हूँ। जय, जय, जय हे माँ सरस्वती, तुमको आज निहार रहा हूँ।
मेरी धड़कन रोम रोम साँसों पर जिसका कर्ज़ा है भगवान उसे कैसे लिख दूँ , भगवान से ऊँचा दर्ज़ा है मेरी धड़कन रोम रोम साँसों पर जिसका कर्ज़ा है भगवान उसे कैसे लिख दूँ , भगवान से ऊँच...
वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है। ये सब बड़े आश्चर्य की बात हैं ! वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है। ये सब बड़े आश्चर्य की बात हैं !
इस कविता के माध्यम से मैं मातृभूमि के प्रति अपना प्रेम व्यक्त करना चाहती हूँ| इस कविता के माध्यम से मैं मातृभूमि के प्रति अपना प्रेम व्यक्त करना चाहती हूँ| ...